Millions of books in English, Spanish and other languages. Free UK delivery 

menu

0
  • argentina
  • chile
  • colombia
  • españa
  • méxico
  • perú
  • estados unidos
  • internacional
portada भारत और साम्यवाद (in Hindi)
Type
Physical Book
Publisher
Year
2020
Language
Hindi
Pages
152
Format
Paperback
ISBN13
9788193466650

भारत और साम्यवाद (in Hindi)

B.r. Ambedkar; Anand Teltumbde (Author) · Leftword Books · Paperback

भारत और साम्यवाद (in Hindi) - B.R. Ambedkar; Anand Teltumbde

New Book

£ 19.17

  • Condition: New
Origin: U.S.A. (Import costs included in the price)
It will be shipped from our warehouse between Friday, June 28 and Wednesday, July 10.
You will receive it anywhere in United Kingdom between 1 and 3 business days after shipment.

Synopsis "भारत और साम्यवाद (in Hindi)"

जिन्हें लगता है कि बाबासाहेब आंबेडकर साम्यवाद या मार्क्सवाद के खिलाफ थे वो भयानक पूर्वाग्रह के शिकार हैं। आंबेडकर का मार्क्सवाद के साथ बड़ा ही गूढ़ रिश्ता था। उन्होंने खुद को समाजवादी कहा है लेकिन ये भी सच है कि वो मार्क्सवाद से गहरे प्रभावित थे। हालांकि मार्क्सवादी सिद्धांतों को लेकर उन्हें कई आपत्तियां थीं लेकिन दलितों के निहित स्वार्थों ने आंबेडकर को कम्युनिस्टों के कट्टर दुश्मन के रूप में स्थापित कर दिया और 'वर्ग' के जिस नजरिए से आंबेडकर इस समाज को देख रहे थे, दलितों ने उस नजरिए को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। प्रतिक्रियास्वरुप कम्युनिस्टों ने भी आंबेडकर और उनके विचारों पर प्रहार करना शुरू कर दिया।1950 के दशक की शुरुआत में आंबेडकर ने एक किताब पर काम करना शुरू किया। जिसका शीर्षक वह भारत और साम्यवाद रखना चाहते थे लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई। प्रस्तुत किताब उसी के बचे हुए हिस्सों का संकलन है। उसके अलावा इसमें उनकी एक और अधूरी किताब क्या मैं हिंदू हो सकता हूँ? का एक भाग भी संकलित किया गया है। आनंद तेलतुम्बडे ने इस किताब की एक बेहद प्रभावशाली और तीक्ष्ण प्रस्तावना लिखी है। ये प्रस्तावना साम्यवाद के प्रति आंबेडकर के नजरिए को तो बताती ही है साथ ही साथ आंबेडकर और कम्युनिस्टों के बीच हुए विवादों और उन विवादों के ऐतिहासिक कारणों की पड़ताल भी करती है। तेलतुम्बडे इस प्रस्तावना में बताते हैं कि आंबेडकरवादियों और साम्यवादियों की आपसी एकता ही भारत के गरीबों और पीड़ितों को शोषणकारी शक्तियों के चंगुल से आजाद कर पाएगी। आंबेडकरवादियों और साम्यवादियों दोनों धड़ों के लिए यह एक बेहद जरूरी किताब है। आंखें खोल देने वाली किताब।

Customers reviews

More customer reviews
  • 0% (0)
  • 0% (0)
  • 0% (0)
  • 0% (0)
  • 0% (0)

Frequently Asked Questions about the Book

All books in our catalog are Original.
The book is written in Hindi.
The binding of this edition is Paperback.

Questions and Answers about the Book

Do you have a question about the book? Login to be able to add your own question.

Opinions about Bookdelivery

More customer reviews