शेख फरीद प्रेम के पथिक हैं। और जैसा गीत फरीद ने गाया है, वैसा किसी ने नहीं गाया। कबीर भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन ध्]यान की भी बात करते हैं। दादू भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन ध्]यान की बात को बिलकुल भूल नहीं जाते। नानक भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन वह ध्]यान से मिश्रित हैं। फरीद ने शुद्ध प्रेम के गीत गाए हैं, ध्]यान की बात ही नहीं की है, प्रेम में ही ध्]यान जाना है। इसलिए प्रेम की इतनी शुद्ध कहानी कहीं और न मिलेगी। फरीद खालिस प्रेम हैं। प्रेम को समझ्] लिया तो फरीद को समझ लिया। फरीद को समझ लिया तो प्रेम को समझ लिया। प्रस्]तुत पुस्]तक में फरीद-वाणी पर ओशो द्वारा दिए प्रवचनों को संकलित किया गया है। यह पुस्]तक पाठकों के लिए प्रेम और ज्ञान के नए क्षितिज खोलती है।